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अगर आपको स्टेंट लगवाने का सुझाव मिला है तो अपने डॉक्टर से यह पाँच सवाल भी ज़रूर पूछें, इनका आपके ह्रदय और जीवन पर बड़ा असर हो सकता है.
स्टेंट एक छोटी धातु की विस्तार करने योग्य छलनी जैसी ट्यूब होती है जो धमनी को सहारा देती है और इसे खुला रखने में मदद करती है. लगाने से पहले स्टेंट को एक बैलून कैथेटर पर लगाया जाता है जो कोरोनरी धमनी के रुकावट के क्षेत्र में स्टेंट को स्थापित करने का एक डिलीवरी सिस्टम होता है. स्टेंट का विस्तार करने के लिए बैलून को फैलाया जाता है. जैसे ही स्टेंट का विस्तार होता hai, यह प्लाक को धमनी की दीवार के साथ सीधा कर देता है, और रक्त के प्रभाव को बढ़ाता है. एक बार जब स्टेंट ठीक से विस्तारित हो जाता है, तो बैलून से हवा निकाल दी जाती है और आपके शरीर से कैथेटर को हटा दिया जाता है. स्टेंट आपकी धमनी में स्थायी रूप से रहता है ताकि रक्त के प्रवाह को बनाये रखने के लिए इसे खुला रख सके.
प्लाक के निर्माण के कारण कोरोनरी धमनी रोग वाले लोगों में, स्टेंट निम्नलिखित कार्य करता है :
इस प्रकार के स्टेंट को हार्ट स्टेंट कहा जाता hai, साथ ही उन्हें कार्डियक स्टेंट या कोरोनरी स्टेंट भी कहा जाता है. आमतौर पर धातु की जाली से बने इन स्टेंट को, पेर्क्युटेनीअस कोरोनरी इंटरवेंशन, या जिसका प्रचलित नाम एंजियोप्लास्टी है, नामक प्रक्रिया द्वारा धमनियों में रखा जाता है.
पहली पीढ़ी के स्टेंट केवल धातु (दवारहित धातु) के बने होते थे. यद्यपि उनमें धमनियों के टूटने का जोखिम लड्भाग समाप्त हो जाता था, यह सिर्फ़ धमनियों के पुनः संकुचित होने का जोखिम बहुत कम करता था, जिसे रेस्टेनोसिस भी कहा जाता है. उपचार प्रक्रिया के दौरान स्टेंट के भीतर ऊतक की अतिव्रिधि के कारण धमनी के पुनः संकुचित होने को रेस्टेनोसिस कहते हैं. केवल धातु के स्टेंट के साथ उपचार की गयी वाले सभी कोरोनरी धमनियों की एक चौथाई करीब ६ महीने में पुनः बंद हो जाने की संभावना होती है.
रेस्टेनोसिस को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने दवायुक्त स्टेंट (डीईएस) का विकास किया है. दवायुक्त स्टेंट रेस्टेनोसिस के जोखिम को अपेक्षाकृत कम करते हैं और भविष्य में उपचार की ज़रुरत को भी कम करते हैं. यह धमनियों की दीवार को वैसे ही सहारा प्रदान करते हैं जो बिना परत चढ़े स्टेंट करते हैं, लेकिन इस स्टेंट पर एक परत चढ़ी होती है, जिसमें एक दवा शामिल होती है जो काफी समय तक धीरे धीरे रिलीज़ होती रहती है. यह दवा धमनी के स्वस्थ होने के साथ स्टेंट के अन्दर ऊतक की वृद्धि को रोकती है, और उसे पुनः संकुचित होने से बचाती है.
दवायुक्त स्टेंट के चिकित्सकीय प्रयोगों में, यह धमनियों के पुनः संकुचित होने के मामलों को १० प्रतिशत से भी कम कर देते हैं. इन्होंने डायबिटीज के रोगियों के लिए उपचार प्रक्रिया को पुनःदोहराने की आवश्यक्ता को भी कम कर दिया है, जिनमें धमनियों के पुनः संकुचित होने की संभावना अधिक होती है. अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं.
मेडिकल उपकरणों के लिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त विनियामक संस्थाओं में से यूनाइटेड स्टेट्स फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएस एफडीए) एक है, कांफिर्मिते यूरोपियन (सीई) भी ऐसी एक अन्तराष्ट्रीय संस्था है. यह विनियामक संस्था एक उपकरण या औषधि की क्षमता और सुरक्षा की सख्त जाचों और चिकित्सकीय अध्ययनों के बाद उसको अनुमोदित करते हैं. भारत में, एक स्थानीय निकाय है भारतीय औषधि महानियंत्रक (दीसीजीआई) जो भारत में इन डिवाइसों के लिए अनुमति देता है.
स्टेंट थेरेपी एक स्थापित जीवन रक्षक उपचार है, लेकिन लक्षणों की रोकथाम और बिना किसी विपरीत प्रतिक्रियाओं, जैसे पुनः थक्का जमना या ब्लॉक होना, में धमनियों को खुला रखने के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है. इसका कारण मानवीय शरीर रचना का जटिल होना और कुछ अन्य कारक हैं ( जैसे उपचार के लिए दवा के बाद परहेज़, ह्रदय के लिए स्वस्थ जीवनशैली, आदि) जो धमनियों के पुनः संकुचित होने के जोखिम को परिवर्तित कर सकते हैं और भविष्य में जटिलताओं और प्रक्रियाओं को दोहराने का कारण बन सकते हैं.
इसलिए व्यक्ति को डीईएस की जांच करनी चाहिए जिनका अध्ययन अच्छी तरह से किया गया हो और जिन्होंने रोगियों की बड़ी संख्या (५००० से अधिक) में सुरक्षा और क्षमता के उत्कृष्ट परिणाम प्रदर्शित किये हैं, जिनको विभिन्न जटिलताएं थी और जिनकी जांच विभिन्न चिकित्सकीय स्थितियों में की गयी थी. अपने डीईएस के विकल्प पर कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लें.
डायबिटीज के रोगियों में स्टेंट के प्रयोग के एक साल बाद बिना डायबिटीज रोगियों के मुकाबले कम अच्छे परिणाम मिलते हैं. चिकित्सकीय निरिक्षण के दौरान मृत्यु की अधिक घटनाओं, हार्ट अटैक और रीइंटरवेंशन का पता लगता है. डायबिटीज के रोगियों में रीस्टेनोसिस के जोखिम के बढ़ने का भी पता लगता है. डायबिटीज के रोगियों में उच्च रक्तचाप, ह्रदय की बीमारी और स्ट्रोक से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है. वास्तव में डायबिटीज के रोगियों में सीएडी मृत्यु का एक मुख्य कारण है.
कुछ डीईएस का डायबिटीज वाले लोगों में मूल्यांकन किया गया है और इन डीईएस को यूएस एफडीऐ ने सुरक्षित और प्रभावी उपचार विकल्प के रूप में अनुमोदित किया गया है. अधिक जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं.
एक बार स्टेंट को लगाने और धमनी की दीवार की साथ उसे स्थापित करने के बाद यह स्थायी रूप से वहीँ रहता है. स्टेंट के ऊपर ऊतक वृद्धि करता है और इसे आत्मसात कर लेता है, जिससे यह हिलता नहीं.
हाँ, आप में लक्षणों का फिर से दिखाई देना संभव है, जिसका कारण स्टेंट लगाने के बाद धमनी का फिर से ब्लॉक होना या ह्रदय की धमनी का किसी नए स्थान से ब्लॉक होना है. यदि आपको लक्षण फिर से दिखाई देते हैं तो अपने चिकित्सक को सूचित करें.
हालांकि लक्षणों का पुनः उत्पन्न होने से रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, आप व्यायाम करने से, धूम्रपान ना करके और स्वस्थ आहार लेने के माध्यम से अपना जोखिम कम कर सकते हैं. आपका चिकित्सक आपको जीवनशैली में बदलाव करने के बारे में सलाह दे सकता है.
यह जानकारी प्रोफेशनल मेडिकल सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है. हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें.